Monday, November 2, 2009

प्रदूषण

पिछले दिनों एक स्कूल ने
नेहरु जी का जन्म - दिन मनाया
और इस अवसर पर
पर्यावरण एवं प्रदूषण पर
विशाल मेला लगाया

छात्रों एवं अध्यापकों ने
मेले की सफलता के लिए
बड़ा जोर लगाया
इसलिए उसके उदघाटन हेतु
उसी विभाग के मंत्री जी को बुलवाया
हालांकि
नेताजी उसी विभाग में मंत्री थे
पर पर्यावरण एवं प्रदूषण का
हिन्दी में अर्थ
उन्हें आज तक समझ में नहीं आया

उदघाटन में बोले-
'नेहरु जी, हमारे महान नेता थे
हम कलयुग हैं, वो त्रेता थे
उन्हें पर्यावरण बहुत पसन्द था
बल्कि वो पर्यावरण के पर्याय थे

और प्रदूषण
प्रदूषण को तो वो
बहुत प्यार करते थे
उनकी देखा-देखी
उनके हजारों अनुयायी
प्रदूषण पर मरते थे
इसीलिए मैंने
आज से बीस साल पहले
यह निर्णय लिया था
क्योंकि मेरे दो बेटों का नाम
कुलभूषण और बृजभूषण था
इसलिए तीसरे का नाम
मैंने प्रदूषण रख दिया था।'

उदघाटन के बाद
नेताजी अपने मंत्रालय आए
तो उअन्के पी॰ ए॰
उनके पीछे तुतलाते हुए आए
'……, ……, ये चिट्ठी आई है
होम मिनिस्टरी ने भिजवाई है'
'किस मिस्त्री ने भिजवाई है?'
'मिस्त्री ने नहीं ……
मिनिस्टरी ने'
'तुम खड़े क्यों हो बैठ जाओ
और किसके बारे में है
पहले ये बताओ?'
'…… प्रदूषण के बारे में'
सुसते ही नेता जी मुस्कराने लगे
बोले-
'हैं…… हमारा प्रदूषण इतना बड़ा हो गया
कि उसके बारे में खत भी आने लगें
'…… लिखा है
यह बहुत फैल रहा है।'
'वो तो फैलेगा ही
आखिर बेटा किसका है।'
'स……र इसे रोकना है।'
नेताजी गुस्से से बोले -
'अब हमारा सर
किसी के आगे क्यूं झुकेगा
अगर रोकना ही था
तो बीस साल पहले कहते
अब ये किसी के रोकने से थोड़ी रुकेगा'
'स……र इसे रोकने के लिए
बीस करोड़ रुपया आ रहा है।'
'हैं……प्रदूषण को रोकने के लिए
बीस करोड़ रुपया आ रहा है
फिर तो वो रुका ही हुआ है
वो कहाँ जा रहा है?
सुनो!
हमारे मातहत सभी विभागों को
'डी॰ओ॰' भिजवाओ
लिखो,
हमने इस समस्या का
स्थायी प्रबन्ध कर दिया है
और बीस करोड़ रुपये के लिए
अपने बेटे प्रदूषण को
कमरे में बंद कर दिया है।'