Sunday, October 4, 2009

दो और दो पाँच

हमारे शहर के
एक नेता जी
अचानक बीमार हो गए
बीमारी में
विरोधियों का हाथ था
सन्निपात था
आत्मा
शरीर में डोलने लगी थी
बड़बड़ा कर बोलने लगी थी

मैंने सोचा -
क्या विरोधाभास है
पहली बात तो
नेता के आत्मा होती है
और अगर गलती से हो
तो बोलती नहीं
फिर सोचा -
हालत सीरियस है
मिल लेना चाहिए
तीन दिन तक
दाढ़ी बढ़ाने के बाद
जब मैं किसी की
तेरहवीं में जाने लायक हो गया
तो मनहूस-सी सूरत बना
उनके घर पहुँच गया
'हुज़ूर!
यह सब अचानक कैसे हो गया?'
वो बोले - भैया
बुढ़ापा है, हो जाता है।'
मैंने कहा -
'ये बीमारी है या भूत है'
वो बोले - 'नहीं
यह सब विरोधी दल की करतूत है
क्योंकि
उनके सत्ता में आने के बाद ही
हमें पता चला
कि कुछ आत्मा भी होती है
जो कभी तथाकथित रुप से बोलती है
तो कभी तथाकथित रुप से रोती है
जब आत्मा रोये तो समझ लो
कुछ क्रूर हाथों द्वारा
किसी निर्दोश बस्ती का दम निकल गया
औअर आत्मा बोले तो समझ लो
नेता जी का दल, बदल गया
फिलहाल तो
हमारी आत्मा बोल रही है'

मैने कहा - 'ठीक बात है
जब इस देश में
दो और दो पाँच हो सकते हैं
तो आपकी आत्मा भी बोल सकती है।'
वो चौंके -
'आप भी क्या अंट-शंट बकते हैं
दो और दो पाँच हो सकते हैं
गणित मैंने भी पढ़ा है
आठवीं पास हूं।'
मैंने कहा - 'क्यों
जब 'रघुपति राघव राजा राम' पर
डिस्को हो सकता है
तुम्हारे जैसा पद-लोलुप नेता
देश की दुर्दशा पर रो सकता है
राजनीति में
सांप और नेवला मिल सकते हैं
समय पर
बुद्धिजीवी के होंठ सिल सकते हैं
राजनीति इस देश की
अर्थव्यवस्था को मरोड़ सकती है
शराफत का साथ छोड़ सकती है
अपराधी नेताओं के पहलू में सो सकते हैं
और लाशों पर पैर रख कर
चुनाव हो सकते हैं
तो दो और दो पाँच भी हो सकते हैं।'
वो बोले - 'भैया
मुझे बेवकूफ मत बनाओ
ये सब तो सम्भावनाएं हैं
कैसे होते हैं, ये बाताओ?'
मैंने कहा -
'मुझसे क्या पूछते हो
किसी बड़े उद्योगपति से पूछो
दो और दो पाँच कैसे होते हैं
किसी इन्कम-टैक्स बचाने वाले से पूछो
लोहे के बांध
और पुल चबाने वालों से पूछो
और एक ही फाइल में
लाखों पेड़ उगाने वालों से पूछो
दो और दो पाँच कैसे होते हैं…
अभी मैं
उदाहरण दे ही रहा था
कि नेताजी का एक चमचा
अंदर आया
नेता जी के कान में फुसफुसाया
'हुजूर
अपनी आत्मा से कहिये
अब चुप हो जाये
उन्होंने आपको मंत्रिमण्डल में
लेने का निश्चय कर लिया है।'
सुनते ही
नेताजी की आंखों में
एक चमक आई
फिर बोले - 'जैमिनी भाई!
देखा आपने
एक आत्मा के बोलने से
अनेक लाभ कैसे होते हैं
तुम्हें उदाहरण देने नहीं आये
दो और दो पाँच ऐसे होते हैं।'

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