Wednesday, August 26, 2009

जसवन्त जिन्ना और विभाजन















एक थे जसवन्त सिंह। पिछले तीस वर्षो से भारतीय जनता पार्टी में थे। भाजपा वालों ने सोचा कि इन्हें पार्टी से धक्का दिया जाए। ये धक्का वो दिल्ली में भी दे सकते थे, फिर सोचा जसवन्त भूतपूर्व सैनिक हैं दिल्ली में धक्का दिया तो उठ कर सम्भल सकते हैं। ऊँचाई से धक्का दिया जाये इसलिए शिमला ले जा कर काम को अंजाम दिया गया। पता था सम्भलना तो दूर उठना भी असम्भव है। ऐसा नहीं कि जसवन्त ने समझौते की कोशिश नहीं करी होगी लेकिन भाजपा का काग्रेंस से वैचारिक ही नहीं भौगोलिक मतभेद भी है। जिस काग्रेंस ने कभी शिमला में समझौते किये हो वहाँ भाजपा कैसे समझौता कर सकती थी। लब्बोलुआब ये कि भाजपा वाले शिमला में चिंतन शिविर की बैठक में गये और जसवन्त की बैठक में बैठ कर आ गये।

ऐसा नहीं कि चिंतन शिविर में चिंतन हुआ ही नहीं। कई भाजपा नेताओं ने सचमुच चिंतन किया और हार के लिए स्वयं को दोषी मान आत्म - हत्या का निर्णय लिया। एक वरिष्ठ भाजपाई ने उन्हें ज्ञान दिया-कुछ रचनात्मक कार्य करो, किताब लिखो, लेखक भी कहलाओगे और आत्म-हत्या भी हो जायेगी।
दरअसल भाजपा का हर नेता अटल बिहारी बाजपेयी बनना चाहता है । पर अटल जी पहले लेखक थे बाद में राजनीति में आये और ये राजनीति में इतने साल पक कर लेखक बनने चले। भई जिसका काम उसी को साधे।

'किताब लिखना आसान नहीं, पूछो जसवंत कलमकार से,
ये कागज को काट रहे हैं, जग लगी तलवार से।


जसवन्त सिंह को किताब लिखने का शौक है। उनकी दो हजार छ: में लिखी पुस्तक भी विवादों में रही। ये शौक उन्हें विवादित बना देता है या यूं कहे उन्हें विवादित होने का शौक है। कुल मिलाकर वो काफी शौकिन।

अपनी इच्छा को सीमाओं में बाधें रखियें।
वरना ये शौक गुनाहों में बदल जायेंगे॥


जसवन्त सिंह ने जिन्ना पर किताब लिखने की कब सोची होगी यह जानने के लिए थोड़ा फ्लैश-बैक में जाना होगा। हुआ यूं होगा कि जब जसवन्त अपने मसूद जैसे आतंकियो को कंधार छोड़ने गये तब रास्ते में टाईम-पास करने के लिए वो आतंकवादियों के साथ जिन्ना - जिन्ना खेलने लगे। ये तो आतंकियों का हृदय परिवर्तन न कर सके पर आतंकियो ने इनका हृदय अवश्य परिवर्तित कर दिया। जसवन्त आतंकवादी तो नहीं बने अलबत्ता मानव - बम जरुर बन गये। ये आत्मघाती बम स्वयं को नष्ट कर इतिहास के पन्नों में अवश्य चला गया। चुनाव में भाजपा का नारा था-महँगी पड़ी - काग्रेंस । लेकिन
बेचारे जसवन्त के लिए महँगी पड़ी- काफ्रेंस।

जिन्ना ने आजादी से पहले भारतीय जनता का नुकसान किया और आजादी के इतने बरस बाद भारतीय जनता पार्टी का एक बात तय है कि देश के विभाजन के लिए जिन्ना जिम्मेदार हो या न हो भाजपा के
विभाजन के लिए जरुर जिम्मेदार होगा।

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